है जो घट घट में समाहित।
है जो कण कण में शामिल।
है जिसकी खुशबू इन फिज़ाओं में।
है जिसकी चमक सभी दिशाओं में।
है जो भारत के खेत खलिहानों में।
लहलहाती फसलों सोना उगलते
खदानों में।
है जो ईर्षा द्वेष दुःख दर्द से परे।
है जो अमृत कलश बरसाने वाला।
है जो धेनु चरैया नाथ नचैया ।
है जो मद नैनों भरा।
हैं तरस रहीं जिसकी दरस को
अंखियाँ ।
जिसके बिना उदास सारी बरसाने की
सखियां।
है जो नंद का लाला।
है जो ब्रज वाला।
है जो भारत का रखवाला।
है जिसने सनातन धर्म का परचम
लहराया।
वह कृष्ण कनहिया बांसुरी बजवैया।
है जो सबका जीवन खेवैया
है जो माखन मिश्री का भोग लगाता
जीवन की राह दिखलाता
जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर
तब तब आय संभाल लिए।
हो गए पार वो जीवन बैतरणी
जिस जिस ने प्रभु तेरा नाम लिए।
प्रभु की कृपा दृष्टि से भारत का
कल्याण हुआ।
ऋषि मुनियों की इस धरती पर
प्रभु आपका बारम बार अवतार हुआ।
दुष्टों का संघार कर धरती को आज़ाद
किए ।
हे प्रभु मुरली वाले आपने जन जन का
कल्याण किए।
आप जन जन का कल्याण किए.....