प्यारे आज भी खूब लगते रंगीन गुलाब।
पढ़ने वाले ही पढ़ पाते दिल की किताब।।
पन्नों के बीच में सुरक्षित मगर मुरझा गया।
आज उसको देखते ही हरे हो गए ख्वाब।।
कुछ की प्यार के नाम से आँखें सिकुड़ती।
मेरी फैलने लगती तोहफा देखकर जनाब।।
प्यार जताने के सारे तरीके भरोसे के नहीं।
प्यार के अवशेष छोड़ जाता रहता लगाव।।
लगाव में रूहानी खुशबू बसी रहती 'उपदेश'।
याद रुकती ही नही उसपर कोई नही दबाव।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




