हमें निज संस्कृति का भान नहीं
निज धर्म पर अभिमान नहीं
तो कैसा भारत बनाओगे जर्जर
इन अवलम्बो पर सनातन को कब तक उठा पाओगे समय रहते संभल जाओ
अब समय लौट नही आता हैं
थक गया है इतिहास भी अब तुम को समझाते चिर निद्रा में लीन है
जो उनको जगाते सोते को जगा भी दे
मुर्दो से कौन बतियायें
किसी ने शतक से ऊपर लगाया
कोई है अर्धशतक से भी आगे
हमारा बस एक ही यही अगर लुट जायेगा तो क्या कर पाओगे
कभी देखा करो अपनी संतानों को
स्वयं तो ठाठ से जी लिए
हिन्दू है हम गर्व से दबी जुबां में कह लिए उनके लिए धर्म का संरक्षण कर पाओगे आज नहीं जागे तो रक्षा धर्म की करेगा कौन
आने वालीं पीढ़ियों में
रस सनातन घोलेगा कौन
इतना तो तय कर लो तुम हिन्दू जन्में है हिन्दू ही मरोगे अपनी पीढ़ियों को धर्म सनातन की ही दीक्षा उपहार स्वरूप दोगे
✍️#अर्पिता पांडेय