जो राम अवध का राम था,
वो कोई नहीं बन पायेगा
इसीलिए तो इस दुनिया में
राम राज्य नहीं आयेगा
एक इंच जमीन की खातिर
भीड़ जातें हैं भाई भाई
धन दौलत और माल खजाना
पत्नी ने है नजर गड़ाई
रिश्तों का कोई कदर नहीं है
सबको अपनी मान है भायी
राज पाट सब छोड़ के वन को
कोई पुत्र नहीं जायेगा
इसीलिए तो............................
पुतला जला जला रावण का
उत्सव मनाते आ रहे हैं
काम, क्रोध, मद,लोभ को दिल से
अब तक नहीं जला रहें हैं
अपनी मंसूबों की खातिर
नींद औरों का उड़ा रहें हैं
जीती हुई स्वर्ण की लंका
कोई छोड़ नहीं पायेगा
इसीलिए तो......................
कैकेई जैसी माता को कोई
क्षमा नहीं कर सकता है
भरम निवारण को जनता की
अग्नि चिता नहीं रचता है
जंगल में अब कोई भीलनी की
जूठे बेर नहीं चखता है
भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न
दुनिया में नहीं आयेगा
इसीलिए तो..............
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




