कहां ज़िन्दगी तुझको
मोहलत मिलेगी।
जो तुझसे मुझे कोई
शौहरत मिलेगी।
जो मां-बाप की
अपने करते हैं ख़िदमत,
उन्हीं को ज़माने में
इज़्ज़त मिलेगी।
दुआ मुझको
मां-बाप ने दी है दिल से,
यक़ीं है, यहीं मुझको
जन्नत मिलेगी।
ज़माना तुम्हें "फ़ौज़िया"
कुछ न देगा,
ख़ुदा से जो मांगोगी,
दौलत मिलेगी।
डॉ० फ़ौज़िया नसीम 'शाद'