मैं क्यों बुजुर्ग हो गया
कहना आसान था यह लोगों को
कि उम्र हो गई अब हमारी भी
इसलिए घर पर ही रहते हैं आजकल
दिल ही जानता है बस यह दर्द
कि हर काम ने भी
अब हमें आज़ाद कर दिया
दुनिया की नज़र में जो मौज है
हमारे लिए अकेलापन हो गया
मैं क्यों बुजुर्ग हो गया ।
जब फुर्सत के पल चाहते थे
तब मिलते नहीं थे
आज हम फुर्सत ही फुर्सत में रहते हैं
एक समय काम से छुट्टी कर
घूमने का मौका ढूँढते थे
आज छुट्टियों पर हैं तो काम ढूँढते हैं
कभी ज़िम्मेदारियों से थक कर
खूब नींद लिया करते थे
आज ज़िम्मेदारियाँ नहीं हैं
तो नींद भी नहीं है
आज बीता हर पल याद बन गया
मैं क्यों बुजुर्ग हो गया ।
वक़्त की चतुराई तो देखो
कि उम्र रहते समझाया नहीं
कि हम मेहमान हैं इस ज़िन्दगी के
और अब पल-पल डराता है कि
तुम मेहमान हो शायद इसी पल के ॥
----वन्दना सूद