रचना अभी अधूरी है
कलम को बचाते बचाते,
एक कवि ने आत्महत्या कर ली,
विचारों की,
और वो कुछ कहना चाहता,
चुप हो जाता,
सियासत के चक्कर में,
दाग लगेगा तो लगने दो,
दीवारों पर,
तुम तो क्यों चुप हो,
अपने विचारों पर,
लगा सत्य है कह दो,
साहस एक कवि के मन में है,
साहस उसकी कलम है,
जग हंसता है,
हंसने दो,
जो छुपना चाहता है,
छुपने दो,
बस ध्यान रखो,
कवि ना छुपे,
ना वो झुके,
लालच का ना घराना,
ना उससे मोहब्बत हो,
प्रसिद्धि के कारण बेईमान ना हो,
लिखें तो कलम की चोट पर,
कहे तो बेधड़क विचारों चोट पर,
मिटने लगे कलम उसकी,
तो वो भी मिटने लगे,
रह जाए उसका दाग ,
हर नीति और फैसले की दीवारों पर,
अब उठो और लिखो,
ऐसा लेख,
लिखो काव्य अनेक,
बस रस से ज्यादा उसमें सच हो,
किसी का भावरूप भी मिला हो,
चौखट पार हो जाए हर पन्ने की,
ऐसा तेजतर्रार विचार लिखो,
लिखते लिखते बस काया की,
रूह रह जाए,
बस आसमां में अपने शब्द छोड़ दो,
गिर जाओ धरातल पर।।
- ललित दाधीच

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




