कविता : पैसा ही सब कुछ नहीं....
हे मनुष्य हर बखत
पैसे के पीछे मरता है
आखिर ये सब क्यों
और किस लिए करता है ?
हे मनुष्य जरुरत से अगर
ज्यादा पैसा कमाएगा
उस धन और पैसे को
कहां ले कर जाएगा ?
फिर भी पैसे के लिए ही झगड़ता
पैसे के लिए ही लड़ता है
आखिर एक दिन तो सभी को
शमशान घाट जाना ही पड़ता है
हे मनुष्य जब तू मर
कर श्मशान घाट जाएगा
क्या तू उस बखत भी
अपना पैसा ले जा पाएगा ?
क्या तू उस बखत भी
अपना पैसा ले जा पाएगा.......?

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




