गाँव की हवेली ने राज कर लिया।
कच्चे मकान ने लिहाज कर लिया।।
नंगे पैरो से मीलो का सफर करते।
जूता पहनने पर एतराज कर लिया।।
आजाद जज़्बात एक सीमा में रहे।
खुलते लोगो ने एतराज कर लिया।।
वक्त रहते दूर हो गये खुदगर्जो से।
दिल से 'उपदेश' ने हज कर लिया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद