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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बचपन,जवानी और बुढ़ापा

कविता - बचपन,जवानी और बुढ़ापा
बचपन हर कोई

इंसान को भाता है
बचपन तो दोस्तों से
हंस खेल में ही जाता है

बचपन में चाहे घूमों इधर
चाहे घूमों उधर
उस बखत तो न कोई
चिंता न फिकर

इसी तरह जवानी भी
सब के लिए सही है
कोई परेशानी
कोई दिक्कत नहीं है

बिजनेस करो नोकरी
करो पैसा कमाओ
ऐश करो इधर जाओ
कभी उधर जाओ

ऐसे करते करते जवानी भी
मजे से कट जाता है
दिक्कत तो तब आती
जब बुढ़ापा आता है

बुढ़ापे में तो आंखें
देखते नहीं
दोनों पैर ढंग से चल
फिर सकते नहीं

कुछ भी कहीं भी
अच्छा लगता नहीं
खाना खाओ तो
पेट में पचता नहीं

घर का परिवार भी
देखता नहीं
कोई यार दोस्त भी
पास आता नहीं

बुढ़ापा सभी के लिए
कष्ट कर होता है
कष्ट कर क्या बुढ़ापे में तो
हर कोई रोता है
कष्ट कर क्या बुढ़ापे में तो
हर कोई रोता है.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Bhushan Saahu said

Satya vachan..👍👍

Komal Raju said

भावनाओं से भरी हुई कविता

नेत्र प्रसाद गौतम said

नमस्कार आप की प्रशंसा ही मुझको आगे बढ़ने में सहायक होगी

नेत्र प्रसाद गौतम said

नमस्कार प्रशंसा के लिए बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

Shyam Kumar said

वृद्धावस्था में हमें अपने परिवार जनों का ख्याल रखना चाहिए फिर बुढ़ापा किसी के लिए कष्टदाई नहीं होगा

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