कितना भी भूलना चाहो याद आयेगी जरूर।
मोहब्बत वो ताकत है गुल खिलायेगी जरूर।।
मजहब से कोई वास्ता नही नजर के खेल में।
अगर नजर मिल गई फिर रंग लायेगी जरूर।।
प्यार तमाशाई न कर किस्मत से दिल मिलते।
दिल में बस गये 'उपदेश' तडप आयेगी जरूर।।
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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मोहब्बत वो ताकत है गुल खिलायेगी जरूर।।
मजहब से कोई वास्ता नही नजर के खेल में।
अगर नजर मिल गई फिर रंग लायेगी जरूर।।
प्यार तमाशाई न कर किस्मत से दिल मिलते।
दिल में बस गये 'उपदेश' तडप आयेगी जरूर।।