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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

विरह वेदना

विरह वेदना
राधे और श्याम की...

मेरा आंगन सुना है तेरे बिन
तू तुलसी बन आ जा प्रिये ...!

आंखें तरस रही तेरे दर्शन को
तू आंख का तारा बन आ जा प्रिये..!

मन की व्यथा है मिलन की
तू राहगीर बन टकरा जा प्रिये ...!


सूरज अब ढलने को हैं
विरह वेदना बढ़ने को है
सांझ में दीपक की तरह
एक बार दरस दिखा जा प्रिये ...!


-तुलसी




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत प्रेम और विरह रचना, काश आप ।मारी रचना भी पढ़ पाती जिसका शीर्षक है - काश तू होती राधा मेरी। इतनी सुन्दर रचना के लिए आपको सादर नमस्कार।

Tulsi patel replied

हम जरूर पढ़ना चाहेंगे आपकी रचना ...😊🙏🏻

वन्दना सूद said

बहुत खूबसूरत 🙏🙏राधे कृष्ण

Tulsi patel replied

राधे कृष्णा

Updesh Kumar Shakyawar said

विरह वेदना की गाथा दिल मे महसूस हुई। इतनी पवित्र प्रार्थना इश्वर को कुबूल हुई। अति संवेदनशील रचना

Tulsi patel replied

शुक्रिया 😊🙏🏻

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam Virah Rachna, Saadar Pranam 🙏🙏

Tulsi patel replied

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Vinay Kaushik said

जय श्री राधे कृष्ण

Tulsi patel replied

जय श्री राधे कृष्ण 🙏🏻

Tulsi patel said

इसके आगे की पंक्तियां कुछ इस प्रकार हैं... बेला हो चली गोधूली आसमां ने चांदनी की चादर ओढ़ ली सब्र की सरहद लांघकर मन में फिर बस जा प्रिये ...।।

कमलकांत घिरी said

वाह तुलसी जी बहुत ही खूबसूरत रचना,👌👏🙌✍️

Tulsi patel replied

Thanks Kamal ji 😊

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