जो लोग सच में प्यार करते हैं,
वो घावों पर नमक नहीं छिड़कते,
वो किसी के रोते चेहरे को देख
अपनी जीत का जश्न नहीं मनाते।
वो तकलीफ़ में डालकर नहीं मुस्कुराते,
वो ज़ख़्म देकर ख़ुद को ताक़तवर नहीं समझते।
पर तुम…
तुमने मेरे दर्द को हथियार बना लिया,
मेरे आँसुओं को अपनी जीत का तमग़ा,
मेरी बेबसी को अपनी ताक़त का सबूत।
मैं टूटी, तो तुमने धक्का दे दिया।
मैं गिरी, तो तुमने पैरों से कुचल दिया।
मैं रोई, तो तुमने मेरी आवाज़ का मज़ाक बना दिया।
मैं बिखरी, तो तुमने मेरा तमाशा बना दिया।
क्या यही था तुम्हारा प्यार?
प्यार में तो…
जब कोई ज़ख़्मी होता है,
तो उसे और लहूलुहान नहीं किया जाता।
जब कोई चुप हो जाता है,
तो उसकी आवाज़ छीनी नहीं जाती।
जब कोई मरता है अंदर से,
तो उसकी लाश पर ठहाके नहीं लगाए जाते।
पर तुमने…
हर बार मेरी रूह को रौंदा,
हर बार मेरी आत्मा पर वार किया,
हर बार मेरी मोहब्बत को मेरी कमज़ोरी समझा।
पर तुम…
तुमने मेरे दर्द को हथियार बना लिया,
मेरे आँसुओं को अपनी जीत का तमग़ा,
मेरी बेबसी को अपनी ताक़त का सबूत।
मैं टूटी, तो तुमने धक्का दे दिया।
मैं गिरी, तो तुमने पैरों से कुचल दिया।
मैं रोई, तो तुमने मेरी आवाज़ का मज़ाक बना दिया।
मैं बिखरी, तो तुमने मेरा तमाशा बना दिया।
और फिर भी, मैंने तुम्हें मौक़े दिए…
बार-बार, हर दर्द के बाद,
हर अपमान के बाद,
हर बेमर्यादा तिरस्कार के बाद।
हर बार सोचा, शायद इस बार संभाल लोगे,
शायद इस बार महसूस करोगे,
शायद इस बार तुम… मुझे टूटने से बचा लोगे।
पर नहीं…
तुम कभी संभाल नहीं पाए,
क्योंकि तुम्हें कभी परवाह ही नहीं थी।
तुम्हें मेरे आँसू देखने की आदत हो गई थी,
तुम्हें मेरे दर्द में अपना सुख दिखता था,
तुम्हें मेरी चुप्पी में अपनी जीत सुनाई देती थी।
अब समझ आया…
प्यार करने वाले वार नहीं करते,
और जो वार करते हैं, वो कभी प्यार नहीं करते।