कापीराइट गजल
जब प्यार में ये रंग निखर जाता है
नया प्यार में चेहरा, नजर आता है
रंग हो कोई भी, किसी का प्यार में
रंग काला उसे गौरा नजर आता है
हीर शीरी लैला या रोमियो हो कोई
कहां इश्क में ये रंग, नजर आता है
रंग, प्यार का, भले ही, ना हो कोई
हर चेहरा मगर हंसी नजर आता है
होता नहीं चेहरा कोई भी प्यार का
कहां इश्क में चेहरा नजर आता है
इश्क और मुश्क छिपते नहीं कभी
हर प्रेमी के चेहरे पे, नजर आता है
प्यार का रंग, उसे दिखता है यादव
जो इस प्यार के रंग में रंग जाता है
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है