आँसुओं को मैंने मोती बना लिया है—
हर बूँद, तेरी स्मृति की जड़ाऊ मणि-सी
मेरे हृदय की वीणा पर झिलमिलाती है।
पीड़ा मेरी चिर-सखी बन बैठी है,
जो हर रात
मौन दीपक की लौ-सी
मेरे पास जलती रहती है।
उसकी थरथराहट ही
मेरे अकेलेपन का एकमात्र संगीत है।
तेरे बिना यह जीवन—
मानो निर्जन अरण्य हो,
जहाँ पवन की हर आह
तेरे नाम का राग बनकर लौटती है।
मैं उसी प्रतिध्वनि को
अपने वक्ष में सँजोता हूँ,
जैसे वह तेरा ही संदेश हो।
ओ अनदेखे प्रीतम!
यदि मिलन दूर है,
तो भी तेरा वरदान यही समझूँगा—
कि आँसू ही मेरे आभूषण हैं,
और पीड़ा ही
तेरे मिलन-पथ की ज्योति बनकर
मुझे राह दिखा रही है।
इक़बाल सिंह “राशा”
-मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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