आख़िर क्यों जो इंसान हर किसी की
मदद करता उसकी मदद कोई
करता नहीं,
वो हर किसी के साथ हर समय,
हर दुःख में खड़ा रहता पर जब उसे दर्द हो
उसका कोई साथ निभाता नहीं।
वो अपना सुख चैन सब भूल
किसी के ग़म को अपना बना लेता है,
और जब ग़म आकर ठहर जाए
उसकी ज़िंदगी में तो वो बस तन्हा ही होता है।
जब ग़म दस्तक देने की सोचे
किसी की चौखट पर तो वो सीना तान
दहलीज़ पर खड़ा हो जाता है,
पर होता है ये कि जिसके ग़म को वो
रोकना चाहता है वहीं उसे
तोहफ़ा - ए - ग़म देता है।
ऐसा क्यों होता है, है क्या किसी के पास जवाब,
क्यों सभी को हॅंसाने वाला
ख़ुद एक छोटी सी मुस्कान के लिए भी
तड़पता रहता है,
आख़िर क्यों हर किसी से प्यार करने वाला
ख़ुद प्यार का मोहताज होता है।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐