गीत - माई
माई बस दुनियां में एक्के ह,
जेकरा मन में कुछ स्वारथ नइखेl
एक्को क्षेत्र बचल नाही बा,
जेहमें माई के महारथ नइखे ll
प्यार- मार के साझा संग्रह,
माई लिखेले... माई छापेले l
लड़िकवा अब कतना सयान भईल,
अंगुली - बित्ता से नापेले
कवनो दिन न बचे जीवन में,
माई जहिया पुचकारत नइखे l
माई बस दुनियां में एक्के ह,
जेकरा मन में कुछ स्वारथ नइखेll
कुछ पा जाई निम्मन चिज्जी,
त बचा - चोरा के रखले रही l
तेहुँ खइली? ज़ब पूछेलीं,
त झट से कहेले खइले रहींl
हमार पसंद के हर चिज्जी,
बिना खियइले मानत नइखे l
माई बस दुनियां में एक्के ह,
जेकरा मन में कुछ स्वारथ नइखेll
अचरा से पोछत मुँह रहे,
ओहि अचरा के छाँव में रखले रहे
बड़ भइलीं त पता चलल,
उ कवने जतन से पलले रहे l
ओकरा त्याग के एवज में,
घुन्नी भर ओकरा हिफाजत नइख
माई बस दुनियां में एक्के ह,
जेकरा मन में कुछ स्वारथ नइखे ll
जबले जीवन में सांस रहीं,
माई के सेवा में लागल रहब l
उ सुति जाई त सुति जाइब,
नाहीं त हमहूँ जागल रहबl
ई सब त हमार धरम अहे,
जेहमे गलती के स्वागत नइखे l
माई बस दुनियां में एक्के ह,
जेकरा मन में कुछ स्वारथ नइखेll
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
गोरखपुर, उ. प्र.

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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