पुकारता पर्वत
शिवानी जैन एडवोकेट byss
कहाँ गए वे सघन वन, और कहाँ गए वे मोर?
आज खनन की चोटों से है, हर घाटी में शोर।
चीर रहे हैं सीना तेरा, कंक्रीट के ये भूखे मन,
भूल गए हैं कि तू ही है, इस मरुधरा का रक्षक बन।
अगर मौन ये टूट गया, तो थमेगी न ये आंधी,
धूल उड़ेगी शहरों तक, खो जाएगी ये सुहावनी झांकी।
जागो! अरावली को बचा लो, ये केवल पत्थर का ढेर नहीं,
ये जीवन है, ये सांस है, इसके बिना हम में कोई शेर नहीं।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







