प्यार का एहसास जैसे फ़िज़ा -ए-शबनमी
इसीलिए देर तक टिकता यह भी कभी नहीं
ढ़लक जाती है बूंँदें फूलों और पत्तों से जिस तरह
क्षण में प्यार भी न जाने खो जाता है कहीं
फिर रह जाती है आँखों में नमी हीं नमीं
प्यार का एहसास जैसे फ़िज़ा -ए-शबनमी
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इसीलिए देर तक टिकता यह भी कभी नहीं
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क्षण में प्यार भी न जाने खो जाता है कहीं
फिर रह जाती है आँखों में नमी हीं नमीं
प्यार का एहसास जैसे फ़िज़ा -ए-शबनमी