करके भला वो हमारा नुकसान करना चाहता है,
दबा के नीचे वो हमें, पायदान करना चाहता है।
मेरे साथ ही बोता है वो बीज सबकी भलाई के,
दवा की जगह, ज़हर दे वीरान करना चाहता है।
मान कर मसीहा लोग करते हैं उसका सम्मान,
देकर दान, वो सबका अपमान करना चाहता है।
जिसके जबाँ पे कुछ, दिल में कुछ, जाने कौन,
गले लगाकर सबको लहूलुहान करना चाहता है।
बैठ सके वो सुकून से, अपने राजसिंहासन पर,
जो जिंदा हैं उनको, वो बेजान करना चाहता है।
🖊️सुभाष कुमार यादव