बालगीत
मां भर दो रंग पिचकारी
मैं होरी खेलन जाऊं
बाहर खड़े हैं दीदी भैया
उनको रंग लगाकर आऊं
मां भर दो-----
रंग रंगी है दुनिया सारी
मैं भी रंग के आऊं
एक रंग में रंग दूं सबकों
कोई भेद न पाऊं
कौन सिक्ख है कौन ईसाई
हिन्दू मुस्लिम सबको एक
रंग में रंग मैं आऊं
मां भर दो रंग पिचकारी
मैं होरी खेलन जाऊं
✍️#अर्पिता पांडेय