एक भीड़ जो वक्त की लहरों में बिखर गई थी,
आज भावनाओं का पुल बनाकर फिर से साथ चलने चली है।
यादों की रोशनी में नई उम्मीद जगमगाने लगी है,
एक बार फिर
यादें यादों से निकलकर हकीकत से रूबरू होने लगी है,
मोहब्बत का हाथ थामकर फिर अपनेपन की भीड़ बनने चली है।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




