कविता : बेदर्दी....
जब तक आदमी
जिंदा रहता है
उसके पास कोई भी
नहीं जाता है
न उसके लिए
कुछ सोचता है
न उसे कोई
कुछ पूछता है
जब आदमी एक
दिन मर जाता है
हर कोई उसके लाश
को देखने आता है
कोई कुछ कहता
कोई कुछ कहता है
कोई फिर उसके
लिए आंसू बहाता है
फिर हर कोई
कहता उसे बेचारा
ये आदमी क्यों
और कैसे मरा ?
अरे गधों तुम भी
एक दिन मरोगे जैसे
वो भी अभी अभी
बेचारा मर गया वैसे
जब तक वो बेचारा
यहां पर जिया
न किसी ने पानी न किसी
ने खाना दिया
न कोई उस से
मिलने आया
न कोई उस से
बोलने आया
जब वो अपना देह
त्याग कर गया
इस दुनिया से ही वो
आदमी मर गया
अब उसकी लाश को
देखने आ रहे हो जा रहे हो
हे बेदर्दियों वो मर चुका किस
लिए ये ड्रामा दिखा रहे हो ?
हे बेदर्दियों वो मर चुका किस
लिए ये ड्रामा दिखा रहे हो.......?
netra prasad gautam