पतंग की तरह उडाया गया मुझको।
हवा की दिशा में लाया गया मुझको।।
बादलो की ऊँचाई पर तो नही पहुँची।
डोर से 'उपदेश' उठाया गया मुझको।।
मिजाज समझने से पहले ही गिर गये।
बेवजह झाड पर चढाया गया मुझको।।
हर कोई मुझको लूटना चाहता यहाँ।
बडे तरीके से सुलझाया गया मुझको।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद