जीवन की फिर नई किरण है,
कुछ कामयाबी के सपने हैं,
हर दिन संघर्ष भरा है,
राहों में कुछ अपने हैं,
गिर कर चलना चलकर गिरना,
जीवन की बस राह यही है,
चुनौतियों की बारिश में अब ....
....दिख रही फिर नई किरण है.......
....दिख रही फिर नई किरण है.......
कवि राजू वर्मा
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