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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अब इस शहर में हमारा भी मन - हृदय गीत - वेदव्यास मिश्र

सच्ची कहें..
पराये शहर में हमारा भी कोई,
अपना सा लगने लगा है !!
अब इस शहर में
हमारा भी मन रमने लगा है !!

इस शहर में सभी के साथ अब, हमारा भी मन बहलने लगा है !!
इस बेगाने शहर में हमें भी कोई,
अपना सा लगने लगा है !!


लगता है इस शहर के,
चप्पे-चप्पे में इश्क़ घुला हुआ है !!
अब हमारा भी बेचैन मन,
इस शहर में खुश रहने लगा है !!


कुछ तो जादू है यहाँ की फ़िजाओं में,
बातों-बातों में ही गीत बनने लगा है!
अब इस बेगाने शहर में..
हमारा भी दिल लगने लगा है !!

कौन कहता है कि शहर में,
हर कोई मतलबी ही होता है !!
कुछ तो बात है यहाँ की अदाओं में,
इस उम्र में भी दिल इश्क़ करने लगा है !!

अब इस अजनबी शहर में,
कोई अपना सा लगने लगा है !!
अब इस शहर में,
हमारा भी दिल लगने लगा है !!


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (11)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

कुछ तो जादू है यहां की फिज़ाओ में, बातों बातों में ही गीत बनने लगा है वाह! क्या खूब लिखा है

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, सच्ची कहें, आपकी शानदार चुनिन्दा प्रतिक्रिया ने हमारा मन मोह लिया है रीना जी !! सहृदय आभार नमन 🙏🙏💜💜🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

🙏🙏🙏 प्रणाम, शुभ रात्रि

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, शुभाशीष नमन 🌿🌿

PRIYA MISHRA said

Waah kya khub likha hai apne 😁😍😍😍

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob shriman Aacharya ji bahut hi Sundar geet jaisa ki aap se apekshit bhi hai Pranam swikar Karen 🙏🙏

Kapil Kumar said

Are waah...👏👏

वेदव्यास मिश्र said

PRIYA MISHRA मेरी बेटी, लव यू..थैंक यू 💖💖

वेदव्यास मिश्र said

Kapil Kumar जी, थैंक्स आभार !!

Amit Shrivastav said

Bahut sundar abhivyakti

वेदव्यास मिश्र said

Amit Shrivastav जी, अभिवादन आभार स्वीकार करें अमित जी 💜💜

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