ये जगह है कौन सी ये कहां आ गए हम
ये फलक है कौन सा जिसपे छा गए हम
चमकती है रौशनी यहां घटाओं की तरह
महकी हुई है खुशबू यह हवाओं की तरह
है आसमां ये कैसा, जिस पे छा गए हम
ये फलक है कौन सा जिस पे छा गए हम
ये पल हैं अनजाने हैं कुछ लोग अजनबी
लगता है ऐसा क्यूं हम मिले हैं यहीं कहीं
लगता है जैसे अब मंजिल पे आ गए हम
ये फलक है कौन सा जिस पे छा गए हम
मेला लगा हो जैसे ये गलियों सजी हैं ऐसे
गुलशन में सोई-सोई कलियां जगी हों जैसे
ये लगता ऐसा क्यूं अपनों में आ गए हम
ये फलक है कौन सा जिस पे छा गए हम
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




