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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

व्यर्थ के जो सिलसिले हैं - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

व्यर्थ के जो सिलसिले हैं,
छोटे मोटे बुलबुले हैं,
मन में झांक रहे हैं जैसे,
इनको दूर हटाओ जी,
जिनको जाना जाने दो,
खुद से कह दो जाओ जी,

मन के अंदर भी एक मन है,
कितना सजग और चेतन है,
उस मन मंदिर में ठहरे हो,
ऐसे न घबराओ जी,
जिनको जाना जाने दो,
खुद से कह दो जाओ जी,

एक लिया, दो देने होंगे,
कहने को वो कहते होंगे,
आत्म तुम्ही हो, बोध भी तुम हो,
एक पल सूरज छिप जाने को -
देखो रात ना कहना जी,
जिनको जाना जाने दो,
खुद से कह दो जाओ जी

लम्बी दूरी तय करनी है,
मन में ठाने बैठे हो भी,
कुछ घटनाएं घट जाने से,
ऐसे घुट ना जाओ जी,
जिनको जाना जाने दो,
खुद से कह दो जाओ जी

दूर दृष्टि है कहते हो तुम,
आस पास की बातों पर फिर,
विचलित मन को करते क्यों हो?
खुद विचलित होजाते हो,
हम को भी विचलित करते हो,
दूर कहीं बहुत है जाना,
ऐसे न लड़खड़ाओ जी,
जिनको जाना जाने दो,
खुद से कह दो जाओ जी


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Ji bilkul us mandir mein thahre hai fir kya ghabrana nhi ghbrayebge ji, nhi ghutenge ji😃😃😃😃ji nhi honge vichlit na hi kisi ko krenge😃😃😃bahut bahut shukriya aapka aisi motivated poem likhne ke liye👌👌🙏🙏pranaam ... shubh raatri

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना आदरणीय पचौरी सर। बिलकुल सच कहा आपने
''जिनको जाना जाने दो,
खुद से कह दो जाओ जी''
यह जीवन किसी के बिना रुकता नहीं, अपनी गति में निरंतर बढ़ता जाता है। हमें भी इसे स्वीकार कर जीना सीख लेना चाहिए। सादर प्रणाम आदरणीय।👌👌🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏 Ji Main Aapke vicharon se sahmat hun aadarneey mahoday

Lekhram Yadav said

बहुत अरसे के बाद आपकी रचना पढ़ने को मिली, पढ़कर अच्छा लगा। यह कह कर आपने बहुत अच्छा किया, कि "जिसको जाना है जाओ जी," अगर ना कहते तो भी जाने वाले तो चले ही जाते हैं, एक कङवी सच्चाई और रोककर रखने की बाध्यता पर प्रहार करती एक खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार सर।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

वाह! क्या बात है, अशोक जी! निहायत ही उम्दा और शानदार रचना! बहुत ख़ूब! जज़्बात से लबरेज़ एक लाजवाब कलाम जिसकी जितनी तारीफ़ करें वो कम है! आदाब! 👌👌👏👏❤️🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! अशोक जी, क्या बात है 👌 काफी दिनों बाद आपकी रचना पढ़ने को मिला,मजा आ गया
। आपकी इस कविता में जीवन की, स्वच्छंदता, निर्मलता, कोमलता के साथ साथ, मस्तमौलापन, संघर्ष की राह में बिना रूके आगे बढ़ने की गंभीर ध्वनि,हार नहीं मानने का जज्बा, और अपने मन की सुनने और करने अनमोल मनोभाव भरा हुआ है। शब्दों का प्रवाह लहरों की तरह दिल में उतरती हुई। प्रथम पंक्ति से लेकर अंतिम पंक्ति तक रचना जानदार शानदार असरदार 🌹🌹👌👌🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

शिवचरण दास said

शर्त के सिलसिले हैं तो कहीं अर्थ के सिलसिले हैं
अ शोक जी वाह वाह लिखे व्यर्थ के सिलसिले हैं

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

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