रहम दिल बोलने भर से भर आया।
कुबूल नामे से थोड़ा सुकून आया।।
ज़ख्म तो भर जायेगे कुरेदा न जाए।
बार बार कुरेदने से उसमें खून आया।।
इंतकाम लेना तो कोई उससे सीखे।
खून का घूंट पीने से अपमान आया।।
शिकायत करने से कुछ न हुआ जब।
सब्र करने भर से स्वाभिमान आया।।
चोट खाया हुआ दिल तन्हाई में डूबा।
दोस्त ने छुआ 'उपदेश' यकीन आया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद