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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पागल कर दिया है

चाँदनी की चाह ने सबको ही पागल कर दिया है
जिन्दगी की आह ने सबको उजागर कर दिया है

मोहब्बतों के नाम पर हैँ चल रहीं कितनी दुकानेँ
रिश्तों का आज हर घर में कारोबार कर दिया है

सड़ गए रीति रिवाज दौलत का ऊपर से मुलम्मा
अमीर हो या गरीब सबको बराबर कर दिया है

भीड़ भारी हर जगहा है शोरगुल दिन रात फिर भी
सब तन्हा बैचैन हमको किसने बेघर कर दिया है

जिन्दगी कटती नहीं है दास दुनिया की हिरस में
गिरें तो ना बचेंगे क्यूं इतना ऊँचा कद दिया है II




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

भीड़ भारी हर जगहा है शोरगुल दिन रात फिर भी सब तन्हा बैचैन हमको किसने बेघर कर दिया है Waah bahut laazwaab panktiyan ...

Shiv Charan Dass replied

बहुत बहुत शुक्रिया

Supriya sahu said

बहुत सुंदर रचना दास सर जी 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass replied

प्रणाम सहित आभार

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