उतर भी गया है बहुत गहरा तू मुझ में
मर गया हूँ मैं जिन्दा है तू मुझ में
भूल गया था जिन्दगी को मैं जीना
मरता भी कैसे जिन्दा है तू मुझ में
कहते है कोई दुनिया में सबका खुदा है
है कोई खुदा कि जिन्दा है तू मुझ में
दुनिया की खातिर मर गया है तू भी
दुनियां को क्या पता जिन्दा है तू मुझ में
चलो छिप जाय दुनियां से अब रहूं मै
जिन्दा तुझ में और रहे जिन्दा तू मुझ में