मैंने कुछ और कहा,
आपने कुछ और समझा।
मैंने सच कहा,
आपने उसे झूठ समझा।।
मैंने कुछ और लिखा,
आपने कुछ और पढ़ा।
मैंने कविता में हक़ीक़त बयां की अपनी,
आपने उसे मेरी कल्पना समझा।।
मैंने कुछ और कहा,
आपने कुछ और सुना।
मैंने प्यार किया,
आपने उसे फ़रेब समझा।।
मैंने कुछ और बताया,
आपने कुछ और देखा।
मैंने गंभीरता दिखाई,
आपने उसे मज़ाक समझा।।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐