मेरे आंगन के हिस्से का आज, पानी बरस गया रे..
मुरझाया कोमल मन, पुलकित होकर हर्ष गया रे..।
छोटी बड़ी वो सब, कुछ इधर पड़ी कुछ उधर पड़ी..
बादलों के तानेबाने में, कैसा ये आसमां कस गया रे..।
सीला सीला हवाओं का आंचल, जो आ टकराया..
कुछ आंखों में रंग भीगा, कुछ आंखों में बस गया रे..।
भीगी हुई लताओं से, मोती बन कर गिरती बूंदें..
कामिनी के स्वप्न को, विरह का विषधर डस गया रे..।
कोयल की जो कूक पड़ी, वो अंतर्मन को भेद गई..
किसका अब रखें हिसाब, किसको कौन तरस गया रे..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




