मिटे मैल मेरे मन का
सदा मिले सम्मान
हे सुरभारती!,हे कल्याणी!
इतना दो वरदान!
रंज रहे ना राग द्वेष
रहे न स्वारथ कभी मन में
विकट विपत्ति की सामना शक्ति
भर देना मेरे तन में
सुमिरन करूं, करूं वंदन
नित- नित करूं गुणगान
इतना दो वरदान!
हस्तवीणावर! हंसवाहिनी!
अभयदात्री! हे सरस्वती!
चंद्रधवला! हे शारदे!
विश्वव्यापिनी! हे भगवती!
चित्त नव निर्मल बना रहे
दे स्नेहिल सद्ज्ञान
इतना दो वरदान!!
सर्वाधिकार अधीन है