कापीराइट गजल
ओ मेरी प्यारी बहना
तेरी खुशी में बसती हैं ये मेरी सारी खुशियां बहना
दो ही क्या हम चार लिखेंगे, तेरे लिए गजलें बहना
कुछ भी नहीं है मेरे लिए अब तेरी खुशी से अच्छा
अच्छा लगेगा मुझको भी यूं तेरे लिए गजलें लिखना
क्या मेरी अनुपस्थिति भी खलती है अब रोज तुम्हें
गर ऐसी बात है तो तुम दंडित मुझको करती रहना
प्यार भरा है कूट-कूट कर इस तेरे हंसी जुर्माने में
इसी तरह से इसी प्यार से ये गजलें तुम पढ़ते रहना
किसी रोज गर मजबूरी में गजल ना लिख पाऊं मैं
माफ मुझे तुम कर देना और नहीं कुछ भी कहना
जब भी मुझे याद करोगी तब हाजिर मैं हो जाऊंगा
ये यादव मानेंगे हर बात तेरी ओ मेरी प्यारी बहना
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है