कर्म और भाग्य
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
कर्म और भाग्य का कैसा है नाता,
जो बोओगे, वही तो है पाता।
पर ध्यान रहे यह बात खरी,
औरों से पहले चोट खुद पर करी।
जो अन्याय करोगे किसी के साथ,
अपने ही मन में भरोगे तुम घात।
दूसरों को पीड़ा देकर जो हँसते हो,
अपने ही भविष्य का विष तुम कसते हो।
यह जीवन का नियम अटल जानो,
खुद को ही ज़्यादा होता है नुकसान मानो।
इसलिए कर्म करो सोच विचार,
खुद पर न आए कोई दुख अपार।