नेकी की राह <br>आज ज़िन्दगी के बीते पन्ने पलट कर देखा <br>तो यक़ीन नहीं आया <br>कि इतने तूफ़ानों के बावजूद भी हम इस ख़ूबसूरत मुकाम तक कैसे पहुँच गए <br>फिर लगा शायद कुछ पन्ने दर्ज़ नहीं हुए होंगे ज़िन्दगी की किताब में <br>भूले बिसरे कुछ नेकी हम से भी हो गई होगी <br>जिसने दुआओं को ढाल बना हमें किनारे तक पहुँचा दिया होगा <br>तभी एक सीख भी मिली कि अच्छे वक्त में भी कभी नेकी की राह नहीं छोड़ना <br>क्योंकि बुरे वक्त में वही दुआ बनकर हमें ज़िन्दगी की चुनौतियों से लड़ने और सहने की ताकत देगी ..<br> वन्दना सूद </b>