माँ तुमसे कुछ कहना है
माँ तुमसे कुछ कहना है
कैसे कहूँ या ना कहूँ समझ नहीं आता
फिर भी तुम दोनों से एक बात कहना चाहता हूँ
उम्र के अन्तिम मोड़ पर जब तुम आओ
तो तुम्हारी यादों में हमारी यादों का खो जाना ही अच्छा है ..
क्या पता? आज मेरी पहली ज़िम्मेदारी तुम हो,पर कल कोई और मेरी पहली ज़िम्मेदारी बन जाए
इसलिए तुम्हारी यादों से हमारी यादों का धुँधला हो जाना ही अच्छा है..
क्या पता?आज तुम्हारे हाथ के सिवा मुझे किसी और के हाथ का खाना नहीं पसन्द ,पर कल मेरी खाने की पसन्द ही बदल जाए
इसलिए तुम्हारी यादों से हमारी यादों का मिट जाना ही अच्छा है..
क्या पता?आज मैं समझता हूँ कि तुम्हारे बिना ये खुशहाल जीवन मुमकिन नहीं था,पर कल मैं तुम्हारे त्याग,तुम्हारे संघर्ष को अपनी क़ाबिलियत का नाम दे दूँ
इसलिए तुम्हारी यादों से हमारी यादों का फीका पड़ जाना ही अच्छा है..
क्या पता?आज तुम्हारी कई बातें बुरी लगने पर भी हँस कर टाल देता हूँ ,पर कल शायद वही बातें दिल पर लगा बैठूँ
इसलिए तुम्हारी यादों से हमारी यादों का भूल जाना ही अच्छा है..
क्या पता?आज कितने साल बीत गए तुम्हारी सेवा करते हुए,कल कहीं अपने 12 घण्टों से 1 घण्टा भी तुम्हारे लिए निकालना मुश्किल न पड़ जाए
तुम्हारा दिल न दुखे माँ! इसलिए तुम्हारी यादों से हमारी यादों का निकल जाना ही अच्छा है..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




