घर ख़ुद का भूल जायेंगे तेरे बगैर हम
तो किसके दरपे जाएंगे तेरे बगैर हम
महफिल में शायरी का रंग बड़ा उड़ेगा
फिर कैसे गजल सुनाएंगे तेरे बगैर हम
क्या हादसा हुआ दिले आइना है चूरचूर
गम किसको अब बताएँगे तेरे बगैर हम
लो आखिरी शमा भी गुल हो गई हमारी
अब दिल को ही जलाएंगे तेरे बगैर हम
कहने को ख़ुदकुशी भी एक जुर्म है बड़ा
दास मय पीना भूल जायेंगे तेरे बगैर हम ••