फूल की पंखुड़ियों की तरह नये रिश्ते खिल रहे।
चेहरे पर मुस्कान लाने में रहम दिल सफल रहे।।
अनबन की जगह गुंजाईश की खुशबू फैला कर।
असल जिन्दगी में रूहानियत साल दर साल रहे।।
अपने जब गैर लगने लगे और गैर अपने की तरह।
ऐसा कभी जिया नही बेमेल कहावतें बदल रहे।।
गुलशन वही गुल भी वही हल्की-फुल्की सी लपट।
कब तक रहेगा खुश्क मौसम 'उपदेश' चंचल रहे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




