नव-निर्माण का धाम'
शिवानी जैन एडवोकेट byss
नव-निर्माण का धाम, ये सपनों का शहर है,
जहाँ हर विचार, एक नई लहर है।
पुरानी दीवारों को, यहाँ तोड़ दिया गया,
रूढ़ियों के सारे, बंधन मोड़ दिया गया।
कोई नहीं पूछता, कौन हो, कहाँ से आए,
बस देखता है वो, क्या सपने तुम लाए।
हर कला को यहाँ, सम्मान मिलता है,
हर कलाकार का, हुनर खिलता है।
गलतियों से सीखते, आगे बढ़ते हैं सब,
ना कोई डाँटता, ना कोई देता है गब।
असफलता को यहाँ, सबक माना जाता है,
हर अनुभव से यहाँ, ज्ञान पाना जाता है।
यह शहर सिखाता है, जीना हर पल को,
बदलना है कैसे, अपने हर कल को।
विज्ञान और अध्यात्म, दोनों का मेल है,
यहाँ जीवन एक, अद्भुत खेल है।
सपनों का ये शहर, है एक नया आयाम,
आओ, मिलकर करें, इसका नया नाम।
नव-निर्माण की ये धरती, तुझको बुलाती,
हर राह में तेरे, खुशियाँ बिछाती।