एक तो करेला , दूसरा नीम चढ़ा
बेकारी का दौर , युवा नशे में पड़ा
मां बाप अंधेरे में,बेटा एम ए है पढ़ा
अमूल्य जीवन नशे के,कूड़े में सड़ा !
नशे की लत , जिसने भी लगाई
चौतरफा है , दलदल और खाई
न घर का न घाट का,रहता भाई
ऐसी आग घर में,नशे ने भड़काई !
बुझती नही कभी , नशे की प्यास
तन मन धन का , होता है सर्वनाश
कर्म धर्म शर्म की,मिटती नहीं आस
बिखरते जीवन के पत्ते,जैसे ताश !
नशे की स्वारी,एक अंतर्राष्ट्रीय बीमारी
बेलगाम संरक्षण,नशामुक्ति पर भारी
युवाशक्ति , तवाही का मंजर है जारी
नशे के सौदागरों से,दुखी दुनिया सारी !
आइए हम , नशामुक्त जहान बसाएं
नशे के दानव को,धरती से दूर भगाएं
उजड़ते हुए गुलशन में,खुशबू महकाएं
घर देश दुनिया, मानव जीवन बचाएं !
✒️ राजेश कुमार कौशल
[हमीरपुर , हिमाचल प्रदेश]