जो सवालों से भागें,
वो सच का सामना कैसे करेंगे,
तुम्हारे सवाल कहीं नज़र नहीं आये,
तो उनके जबाब कैसे मिलेंगे।
तुम बुरी नहीं,
तुम्हारे सवाल ही तो आईना हैं,
जो चेहरों से नकाब हटा,
असलियत दिखा जाते हैं।
जिन्हें डर है सच से,
वो ही सवालों से घबराते हैं,
वरना सच्चे लोग तो,
हर सवाल का हंसकर जवाब देते हैं।
तुम सवाल करती रहो,
यही तुम्हारी असली ताकत है,
क्योंकि सवालों से ही तो,
बदलाव की शुरुआत होती है।
अंत में मुझे बस इतना बता देना,
जिन सवालों की बात किया करती हो,
वो सवाल कहाँ हैं?
अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'
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