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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

लाड़ली बेटी

दुल्हन बनकर गई थी जो बेटी खुशी-खुशी,
आज क्यों है वो इतनी सहमी-सहमी।
है उसका भी कोई हक वहां,
फिर क्यों रहती है वो डरी-डरी।

दुल्हन बनकर गई थी जो बेटी झोपड़ियों में,
वो महलों में रहने वाली थी।
नाजों से पलने वाली वो मां-पापा की लाड़ली,
आज कितने दुःख झेल रही।

दुल्हन बनकर गई थी जो बेटी पिता के घर से अप्सरा सी थी,
आज हालत उसकी फुटपाथों पर रहने वालों
के जैसी हो गई।
चेहरे पर चमकता था नूर जिसके,
आज रंगत वो उसकी कहीं खो गई।

दुल्हन बनकर गई थी जो बेटी,
आज उसके जीवन में दुःखों की बाढ़ आ गई।
आंखों में जिसके ना आने दिया पिता ने एक भी आंसू,
आज वहां दिन-रात अश्क़ वो बहा रही।

~ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut khoob marmik Rachna

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

Muskan Kaushik said

माता-पिता के लिए इससे ज्यादा दुख की बात और कोई नहीं होती कि उसकी बेटी ससुराल में दुखी है आपने बहुत अच्छे से उस दुख को बयां किया😭😢

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

Kapil Kumar said

Aapki kavitaen rula deti Hain kabhi Hansi se to kabhi unko padhakar Jo bhavnayen andar aati Hain unse

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका सर

फ़िज़ा said

Kya kamal ka likha hai aap jab bhi kuchh likhati hai bahut achcha likhati hai

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत आभार आपका फिजा जी

अर्पिता पांडेय said

हृदय स्पर्शी

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद अर्पिता जी

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत प्यारी रचना

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

Ankush Gupta said

पढ़ कर दिल काप गया तो उसको लिखने में कितनी भावनाएं लगी होंगी और इसको सहने में तो इंसान पागल ही हो जाएग,

रीना कुमारी प्रजापत replied

अगर कोई और होता तो पागल हो जाता अंकुश जी पर हम नहीं हुए, जिसके लिए ये कविता लिखी गई है उसने उसके दर्दों का इतना लोड नहीं लिया जितना की हमने लिया था क्योंकि वो मेरी ही तो अपनी थी।इसे लिखते वक्त हमारी आंखें और दिल दोनो रो रहे थे। 🙏🙏

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