जब-जब अहंकार रूपी रावण आएँगे,
तब-तब अत्याचार के बादल छाएँगे।
आज लोगों के बने हैं रावण आदर्श,
ऐसे लोग मर्यादा कहाँ से ला पाएँगे।
पर नारी जिनके लिए भोग की वस्तु,
ऐसे जीव सदा-सदा के लिए पछताएँगे।
बिलख-बिलख कर निष्पाप ही रोएँगे,
करने मर्दन हे! प्रभु आप कब आएँगे।
निष्ठा-दिव्यास्त्र से करो चित्त प्रहार,
तब ही आज के दशानन मारे जाएँगे।
जब तक न हो मन से रावण का नाश,
तब तक रावण का पुतला ही जलाएँगे।
जब सत्य, निष्ठा, चरित्र को धारण करेंगे,
तब मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहलाएंगे।
🖊️सुभाष कुमार यादव