ये मोहब्बत अगर ना हो झूठे वादे नहीं होंगे।
दिलों को तोड़ने के तब यहाँ इरादे नहीं होंगे।।
ना कोई ख़्वाब होगा ना कोई ख्वाहिशे होगी।
ज़िल्लत से बचने के लिए फरियादें नही होगी।।
छोटी-छोटी बात पर ज्ञान देने वाले नही होगे।
क्या ना कहें 'उपदेश' ग़ज़ल में यादें नही होगी।।
सबका मालिक एक है प्यार उसका व्यवहार।
मानवता ही सदाचार हिंसक आदतें नही होगी।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद