मुश्किल है हजार
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
दिल में जो है,
वही जुबां पर भी रखता हूँ,
बनावटी रिश्तों से ,
किनारा ही करता हूँ।
माना कि राहों में ,
हैं मुश्किलें हज़ार मगर,
अपने उसूलों से ,
कभी मुकरता नहीं हूँ मैं।
दुनिया की भीड़ में,
अकेला ही सही,
अपनी ही धुन में,
रहता हूँ मगन सदा।
चाहे न हो,
कोई मेरा इस जहाँ में,
अपने ही साये से,
कभी डरता नहीं हूँ मैं।
यह सादगी ही ,
मेरी पहचान बनी,
नहीं शौक मुझको ,
महल बनाने का।
छोटी सी कुटिया में,
खुश हूँ मैं अपनी,
किसी के सिंहासन पर,
मैं ललचाता नहीं हूँ मैं।