तुम्हें क्या बताए याद करके दिल बहलता।
तुम हो जिसे बिना बताए काम न चलता।।
दुनियाँ का तजुर्बा लेकर थक गया दामन।
इच्छा अनुरूप लिखता पर दाम न मिलता।।
कहते नही थकता प्रेम समर्पण की निशानी।
मीरा को मिला होगा मुझे श्याम न मिलता।।
झूठी हँसी हँस लेते होंगे लोग मुझको क्या।
सपने वाक्या बयाँ कर देते आम न मिलता।।
मन चाहता तुम सामने रहो बाते चलती रहे।
खुदा को 'उपदेश' अच्छा गुलाम न मिलता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद