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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

कुछ परिंदें।

कुछ परिंदें आपस में चह चहा रहें हैं।
शायद वो इंसानों के बारें में बतला रहें हैं।।

बड़ी मुश्किल से मिला था इक शजर उन्हें।
जिस पर वो अपना आशियां बना रहें हैं।।

जाना न उड़कर कही,शिकारी है इंसा।
वो अपने छोटे बच्चों को समझा रहें हैं।।

खेत खलिहानों की जगह लेली मकानों ने।
हर जगह इंसा अपना कब्ज़ा जमा रहें हैं।।

जब थे उनके पास तो कैद रहे पिंजड़ों में।
अब आज़ादी में भूख से बिलबिला रहें हैं।।

हर मखलूख के हिस्से आई थी कायनात।
पर ये इंसा इसे सिर्फ़ अपना बना रहें हैं।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ








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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत खूब उम्दा काबिलेतारीफ ... ना जी रहा हूँ सुकून से कि जीने भी नहीं दूंगा बेशक परिंदा है, तू कैद में रखूँगा, उड़ने ही नहीं दूंगा|| जहां में नाम हो मेरा जमीं जायदाद भी कम्बख्त तेरा शजर भी छीनकर बंद एक कमरे में ही रहूँगा||

ताज मोहम्मद replied

वाह भाई क्या लाइनें लिखी हैं। मजा आ गया। बहुत खूब। आपका बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी।

Devender Kumar said

greatest

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