ज़िन्दगी
ज़िन्दगी सुख-दुख का संगम है
सुख और दुख ज़िन्दगी में हैं धूप-छाँव
जैसे धूप ही धूप हो तो मन छाँव को तरसता है
पर सुख से मन ऊबा हो , किसी ने सुना है
ज़िन्दगी की दहलीज पर इक ही मिला है
जो अलग चश्मे से ज़िन्दगी को देखता है
कभी उससे प्यार जताने को दिल करता है
त्रिवेणी उसका नजरिया सबसे जुदा है
ज़िन्दगी में ऐसा भी होगा कभी सोचा न था
ये केवल सुखों की सौगात है ऐसा ही लगता था
सुख पंख पसारे कर कब चला जाए पता न था